Monday, May 20, 2024
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पंचांग क्या होता है जन लो 100% काम आएगा

पंचांग क्या होता है ?

पंचांग एक हिंदू कैलेंडर है जो समय की गणना के लिए सूर्य, चंद्रमा और नक्षत्रों की गति का उपयोग करता है। यह एक प्राचीन कैलेंडर है जिसका उपयोग सदियों से भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देशों में किया जाता रहा है।

पंचांग में पांच अंग होते हैं। 

  • वार: दिन का नाम, जैसे कि सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार और रविवार।
  • तिथि: चंद्रमा की स्थिति के आधार पर महीने का दिन।
  • नक्षत्र: चंद्रमा के 12 चरण, जिनमें से प्रत्येक का अपना नाम और विशेषता होती है।
  • योग: दो नक्षत्रों के बीच की अवधि।
  • करण: चंद्रमा के चार चरण, जिनमें से प्रत्येक का अपना नाम और प्रभाव होता है।

पंचांग का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जैसे कि धार्मिक अनुष्ठान, ज्योतिषीय भविष्यवाणी और मौसम की भविष्यवाणी। यह एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो भारतीय संस्कृति और परंपराओं में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है।

पंचांग को अन्य आधारों पर भी वर्गीकृत किया जाता है। 

  • वर्ष: हिंदी पंचांग, ईसाई पंचांग, मुस्लिम पंचांग, आदि।
  • क्षेत्र: भारतीय पंचांग, नेपाली पंचांग, तिब्बती पंचांग, आदि।
  • प्रकार: साधारण पंचांग, संक्षिप्त पंचांग, आदि।

वार: दिन का नाम कैसे काम करता है

वार, दिन का नाम, चंद्रमा की स्थिति के आधार पर निर्धारित किया जाता है। चंद्रमा जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है, तो उस दिन को उस राशि के नाम पर रखा जाता है।

भारतीय पंचांग में सप्ताह में सात वार होते हैं। 

  1. सोमवार: चंद्रमा जब मेष राशि में प्रवेश करता है, तो उस दिन को सोमवार कहा जाता है।
  2. मंगलवार: चंद्रमा जब वृषभ राशि में प्रवेश करता है, तो उस दिन को मंगलवार कहा जाता है।
  3. बुधवार: चंद्रमा जब मिथुन राशि में प्रवेश करता है, तो उस दिन को बुधवार कहा जाता है।
  4. गुरुवार: चंद्रमा जब कर्क राशि में प्रवेश करता है, तो उस दिन को गुरुवार कहा जाता है।
  5. शुक्रवार: चंद्रमा जब सिंह राशि में प्रवेश करता है, तो उस दिन को शुक्रवार कहा जाता है।
  6. शनिवार: चंद्रमा जब कन्या राशि में प्रवेश करता है, तो उस दिन को शनिवार कहा जाता है।
  7. रविवार: चंद्रमा जब तुला राशि में प्रवेश करता है, तो उस दिन को रविवार कहा जाता है।

वार का महत्व:-

वार का उपयोग इन उद्देश्यों के लिए किया जाता है। 

  • धार्मिक अनुष्ठान:- वार का उपयोग विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों को निर्धारित करने के लिए किया जाता है, जैसे कि विवाह, जन्मदिन और अंतिम संस्कार।
  • ज्योतिषीय भविष्यवाणी:- वार का उपयोग किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व, भाग्य और भविष्य को निर्धारित करने के लिए किया जाता है।
  • मौसम की भविष्यवाणी:- वार का उपयोग मौसम की भविष्यवाणी करने के लिए भी किया जाता है।
    वार की गणना:

वार की गणना चंद्रमा की स्थिति के आधार पर की जाती है। चंद्रमा जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है, तो उस दिन को उस राशि के नाम पर रखा जाता है।

वार के प्रभाव:- वार का व्यक्ति के जीवन पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति सोमवार को पैदा होता है, तो उसे चंद्रमा के प्रभाव के कारण भावुक और संवेदनशील होने की संभावना अधिक होती है।

तिथियों को पांच प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है

  • नंदा तिथि: यह तिथि शुभ कार्यों के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है।
  • भद्रा तिथि: यह तिथि शुभ कार्यों के लिए मध्यम मानी जाती है।
  • जया तिथि: यह तिथि शुभ कार्यों के लिए अच्छी मानी जाती है।
  • रिक्ता तिथि: यह तिथि शुभ कार्यों के लिए अशुभ मानी जाती है।
  • पूर्णा तिथि: यह तिथि शुभ कार्यों के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है।
पंचांग की कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं। 
  • यह एक चंद्र-सौर कैलेंडर है, जिसका अर्थ है कि यह सूर्य और चंद्रमा दोनों की गति पर आधारित है।
  • इसमें 12 महीने होते हैं, जिनमें से प्रत्येक में 29 या 30 दिन होते हैं।
  • प्रत्येक महीने को दो पक्षों में विभाजित किया जाता है: शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष।
  • प्रत्येक पक्ष में 15 तिथियां होती हैं।
  • प्रत्येक तिथि को एक नक्षत्र से जोड़ा जाता है।
  • पंचांग का उपयोग विभिन्न धार्मिक और ज्योतिषीय अनुष्ठानों के लिए किया जाता है।

पंचांग भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देशों में एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक प्रतीक है। यह समय की गणना करने, धार्मिक अनुष्ठान करने और ज्योतिषीय भविष्यवाणी करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है।

नक्षत्र: चंद्रमा के 12 चरण कौन कौन है

1 अश्विनी
2 भरणी
3 कृत्तिका
4 रोहिणी
5 मृगशिरा
6 आर्द्रा
7 पुनर्वसु
8 पुष्य
9 आश्लेषा
10 मघा
11 पूर्वाफाल्गुनी
12 उत्तराफाल्गुनी

नक्षत्रों का महत्व:- नक्षत्र का उपयोग अलग-अलग उद्देश्यों के लिए किया जाता है। 

  • ज्योतिषीय भविष्यवाणी: नक्षत्रों का उपयोग किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व, भाग्य और भविष्य को निर्धारित करने के लिए किया जाता है।
  • धार्मिक अनुष्ठान: नक्षत्रों का उपयोग विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों को निर्धारित करने के लिए किया जाता है, जैसे कि विवाह, जन्मदिन और अंतिम संस्कार।
  • मौसम की भविष्यवाणी: नक्षत्रों का उपयोग मौसम की भविष्यवाणी करने के लिए भी किया जाता है।

नक्षत्रों की विशेषताएं:- प्रत्येक नक्षत्र की अपनी विशेषता होती है। उदाहरण के लिए, अश्विनी नक्षत्र को साहस और पराक्रम का प्रतीक माना जाता है, जबकि पुष्य नक्षत्र को समृद्धि और सफलता का प्रतीक माना जाता है।

नक्षत्रों का प्रभाव:- नक्षत्रों का व्यक्ति के जीवन पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति अश्विनी नक्षत्र में पैदा होता है, तो उसे साहसी और पराक्रमी होने की संभावना अधिक होती है।

नक्षत्रों की गणना:- नक्षत्रों की गणना चंद्रमा की स्थिति के आधार पर की जाती है। चंद्रमा जब एक नक्षत्र से दूसरे नक्षत्र में प्रवेश करता है, तो उस दिन को उस नक्षत्र का आरंभ माना जाता है।

नक्षत्रों का महत्व भारतीय संस्कृति में:- नक्षत्र भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे ज्योतिष, धर्म और मौसम की भविष्यवाणी में उपयोग किए जाते हैं।

योग: दो नक्षत्रों के बीच की अवधि कितना होती है

दो नक्षत्रों के बीच की अवधि लगभग 2 घंटे 24 मिनट की होती है। यह अवधि चंद्रमा की गति पर आधारित है। चंद्रमा जब एक नक्षत्र से दूसरे नक्षत्र में प्रवेश करता है, तो उस अवधि को योग कहा जाता है।

योग को दो भागों मे अलग किया जाता है। 

  1. शुभ योग: ये योग शुभ कार्यों के लिए अच्छे होते हैं।
  2. अशुभ योग: ये योग अशुभ कार्यों के लिए अच्छे नहीं होते हैं।

1. शुभ योग:-

  • अमृत योग
  • सौभाग्य योग
  • शोभन योग
  • साध्य योग
  • शुभ योग
  • रिक्ता योग
  • पूर्ण योग
  • वज्र योग
  • सिद्धि योग

2. अशुभ योग:

  • भद्रा योग
  • विष्टि योग
  • अतिगण्ड योग
  • गरिष्ठ योग
  • अमृत योग
  • सिद्धि योग

योग की गणना:-

योग की गणना चंद्रमा की स्थिति के आधार पर की जाती है। चंद्रमा जब एक नक्षत्र से दूसरे नक्षत्र में प्रवेश करता है, तो उस समय को उस योग का आरंभ माना जाता है।

योग का महत्व:-

योग का उपयोग इन उद्देश्यों के लिए किया जाता है। 

  • ज्योतिषीय भविष्यवाणी: योग का उपयोग किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व, भाग्य और भविष्य को निर्धारित करने के लिए किया जाता है।
  • धार्मिक अनुष्ठान: योग का उपयोग विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों को निर्धारित करने के लिए किया जाता है, जैसे कि विवाह, जन्मदिन और अंतिम संस्कार।
  • मौसम की भविष्यवाणी: योग का उपयोग मौसम की भविष्यवाणी करने के लिए भी किया जाता है।

करण: चंद्रमा के चार चरण है कौन-कौन और कार्य क्या है

करणनामकार्य
1बवयात्रा, नए कार्य की शुरुआत
2बालवलेन-देन, व्यापार
3कौलवचिकित्सा, युद्ध
4तैतिलशिक्षा, पूजा

 

करण का महत्व:-

करण का उपयोग इन उद्देश्यों के लिए किया जाता है। 

  • ज्योतिषीय भविष्यवाणी: करण का उपयोग किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व, भाग्य और भविष्य को निर्धारित करने के लिए किया जाता है।
  • धार्मिक अनुष्ठान: करण का उपयोग विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों को निर्धारित करने के लिए किया जाता है, जैसे कि विवाह, जन्मदिन और अंतिम संस्कार।
  • मौसम की भविष्यवाणी: करण का उपयोग मौसम की भविष्यवाणी करने के लिए भी किया जाता है।

करण के प्रभाव:-

करण का व्यक्ति के जीवन पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति बव करण में पैदा होता है, तो उसे यात्रा और नए कार्यों में सफल होने की संभावना अधिक होती है।

करण की गणना:-

करण की गणना चंद्रमा की स्थिति के आधार पर की जाती है। चंद्रमा जब एक नक्षत्र से दूसरे नक्षत्र में प्रवेश करता है, तो उस समय को उस करण का आरंभ माना जाता है।

करण के कार्य:-

प्रत्येक करण का अपना कार्य होता है। उदाहरण के लिए, बव करण को यात्रा और नए कार्यों के लिए शुभ माना जाता है, जबकि बालव करण को लेन-देन और व्यापार के लिए शुभ माना जाता है।

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Authorhttps://breakingnewsup.com
मेरा नाम गोपाल कुमार है। breakingnewsup.com का founder हूँ। मैं Diploma Holder हूँ। Bangalore Electronic City, NTTF कॉलेज से, मैं न्यूज से काफी inspired रहता था। फिर मैं भी startup चालू किया न्यूज चैनल से, मैं 2018 से 23 तक इसी क्षेत्र मे काम कर रहा हूँ। यानि 6 साल का अनुभव है। मैं न्यूज वेबसाइट भी बनाता हूँ। आप अपने लिए खुद का वेबसाइट बनाने के लिए कांटेक्ट भी कर सकते हैं।

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