Monday, May 20, 2024
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Aaj ka Panchang 13 सितंबर 2023: जानें पंचांग भाद्रपद कृष्ण पक्ष चतुर्दशी के बाद आज का शुभ और अशुभ समय।

आज का पंचांग 13 सितंबर 2023 दिन: बुधवार

हिंदू पंचांग का बहुत ही महत्वपूर्ण होता है किसी भी कार्य करने से पहले शुभ मुहूर्त देखने के लिए पंचांग का उपयोग किया जाता है किसी भी कार्य शुरू करने से पहले वर , तिथि, नक्षत्र, कारण, योग को देखा जाता है हिंदू धर्म विशेष स्थान है पंचांग का, दिन की शुरुआत की शुरुवात पंचांग देखा कर ही किया जाता है , तो चलिए जानते हैं 13 सितंबर आज बुधवार का पंचांग क्या कहते हैं

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आज दिन: बुधवार का पंचांग 

माह: भाद्रपद

पक्ष: कृष्ण

तिथि: चतुर्दशी

नक्षत्र: मघा

करण: विष्टि

योग: सिद्धि

राहुकाल: 10:34 से 12:21 तक,   गुरू पूर्णिमा: 16 सितंबर 2023

आज के शुभ मुहूर्त:

अभिजीत मुहूर्त: 11:44 से 12:21 तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: 09:27 से 12:21 तक
अमृत काल: 02:33 से 04:20 तक

आज के अशुभ मुहूर्त:

राहु काल: 10:34 से 12:21 तक
गुलिक काल: 16:15 से 17:42 तक
यमगंड काल: 18:09 से 19:36 तक

पंचांग क्या होता है

पंचांग एक प्राचीन हिंदू कैलेंडर है जो चंद्र और सूर्य दोनों के आधार पर बनाया जाता है। इसमें सारणी या तालिका के रूप में महत्वपूर्ण सूचनाएँ अंकित होतीं हैं जिनकी अपनी गणना पद्धति है। अपने भिन्न-भिन्न रूपों में यह लगभग पूरे नेपाल और भारत में माना जाता है। असम, बंगाल, ओड़िशा, में पंचांग को ‘पञ्जिका’ कहते हैं।

पंचांग का शाब्दिक अर्थ है, ‘पाँच अङ्ग’ (पञ्च + अङ्ग)। अर्थात पंचांग में वार, तिथि, नक्षत्र, करण, योग – इन पाँच चीजों का उल्लेख मुख्य रूप से होता है। इसके अलावा पंचांग से प्रमुख त्यौहारों, घटनाओं (ग्रहण आदि) और शुभ मुहूर्त का भी जानकारी होती है।

पंचांग कितने प्रकार के होते है 

पंचांग के मूल रूप से पाँच अंग होते हैं जिसे हम पंचांग कहते हैं पंचांग कितने प्रकार के होते हैं चलिए हम जानते हैं

  1. वार: सप्ताह के सात दिनों को वार कहा जाता है। ये हैं: रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, और शनिवार।
  2. तिथि: चंद्रमा के एक चक्कर को 30 तिथियाँ कहा जाता है। प्रत्येक तिथि एक दिन का होता है।
  3. नक्षत्र: चंद्रमा के 27 राशियों को नक्षत्र कहा जाता है। प्रत्येक नक्षत्र लगभग 15 दिन का होता है।
  4. करण: एक दिन में दो करण होते हैं। प्रत्येक करण 6 घंटे का होता है।
  5. योग: एक दिन में 27 योग होते हैं। प्रत्येक योग लगभग 2 घंटे का होता है।

पंचांग का हिंदू धर्म में विशेष स्थान है। पंचांग की मदद से शुभ दिन, शुभ मुहूर्त, शुभ योग, दिन के अशुभ समय, ग्रहों की स्थिति आदि के बारे में पता चलता है। पंचांग से दिशाशूल, सूर्योदय, चंद्रोदय, सूर्यास्त, चंद्रास्त आदि के बारे में भी जानकारी मिलती है।

पंचांग का उपयोग हिंदू धर्म के अनुयायियों द्वारा धार्मिक कार्यों और अनुष्ठानों के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, विवाह, गृह प्रवेश, व्यापार आरंभ, यात्रा आदि जैसे महत्वपूर्ण कार्यों को पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त में किया जाता है।

पंचांग का मतलब क्या होता है?

पंचांग का मतलब होता है, पाँच अंग वाला। पंचांग में वार, तिथि, नक्षत्र, करण, योग – इन पाँच चीजों का उल्लेख मुख्य रूप से होता है। इसलिए, पंचांग का मतलब होता है, एक ऐसा कैलेंडर जिसमें इन पाँच चीजों का उल्लेख हो।

पंचांग से क्या आते हैं?

पंचांग से वार, तिथि, नक्षत्र, करण, और योग आते हैं। ये पाँच अंग हैं जिनसे पंचांग बनता है। पंचांग का उपयोग हिंदू धर्म में धार्मिक कार्यों और अनुष्ठानों के लिए किया जाता है।

पंचांग कितने दिन का होता है?

पंचांग एक कैलेंडर है, जो चंद्रमा और सूर्य दोनों के आधार पर बनाया जाता है। इसमें सारणी या तालिका के रूप में महत्वपूर्ण सूचनाएँ अंकित होतीं हैं जिनकी अपनी गणना पद्धति है। पंचांग के पाँच अंग हैं: वार, तिथि, नक्षत्र, करण, और योग। इन पाँच अंगों के आधार पर पंचांग हर दिन बदलता रहता है। इसलिए, पंचांग की कोई निश्चित अवधि नहीं है।

पंचांग और कैलेंडर में क्या अंतर है?

पंचांग और कैलेंडर दोनों समय को मापने के लिए उपयोग किए जाने वाले उपकरण हैं, लेकिन उनमें कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं। पंचांग चंद्रमा और सूर्य दोनों के आधार पर बनाया जाता है, जबकि कैलेंडर आमतौर पर सूर्य के आधार पर बनाया जाता है। पंचांग में वार, तिथि, नक्षत्र, करण, और योग का उल्लेख होता है, जबकि कैलेंडर में आमतौर पर केवल वर्ष, माह, और तिथि का उल्लेख होता है।

ज्योतिष शास्त्र में पंचांग का महत्व

ज्योतिष शास्त्र में पंचांग का बहुत महत्व है। पंचांग में वार, तिथि, नक्षत्र, करण, और योग का उल्लेख होता है, जो सभी ज्योतिषीय गणनाओं के लिए आवश्यक हैं। पंचांग से ग्रहों की स्थिति, नक्षत्रों का प्रभाव, और शुभ-अशुभ मुहूर्तों की जानकारी मिलती है। यह जानकारी ज्योतिषियों को ग्राहकों की कुंडली के अनुसार भविष्यवाणियां करने और उन्हें सलाह देने में मदद करती है।

पंचांग किसे कहते हैं सामाजिक विज्ञान

पंचांग एक प्राचीन हिंदू कैलेंडर है जो चंद्र और सूर्य दोनों के आधार पर बनाया जाता है। इसमें सारणी या तालिका के रूप में महत्वपूर्ण सूचनाएँ अंकित होतीं हैं जिनकी अपनी गणना पद्धति है। अपने भिन्न-भिन्न रूपों में यह लगभग पूरे नेपाल और भारत में माना जाता है। असम, बंगाल, ओड़िशा, में पंचांग को ‘पञ्जिका’ कहते हैं।

पंचांग का शाब्दिक अर्थ है, ‘पाँच अङ्ग’ (पञ्च + अङ्ग)। अर्थात पंचांग में वार, तिथि, नक्षत्र, करण, योग – इन पाँच चीजों का उल्लेख मुख्य रूप से होता है। इसके अलावा पंचांग से प्रमुख त्यौहारों, घटनाओं (ग्रहण आदि) और शुभ मुहूर्त का भी जानकारी होती है। 

सामाजिक विज्ञान की दृष्टि से पंचांग का महत्व इस प्रकार है:

  • पंचांग एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज है। यह हमें हिंदू धर्म और संस्कृति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है।
  • पंचांग हिंदू धर्म में धार्मिक कार्यों और अनुष्ठानों के लिए महत्वपूर्ण है। यह लोगों को शुभ दिन, शुभ मुहूर्त, और शुभ योग चुनने में मदद करता है।
  • पंचांग लोगों को प्राकृतिक घटनाओं के बारे में जानकारी प्रदान करता है। यह उन्हें सूर्योदय, चंद्रोदय, सूर्यास्त, और चंद्रास्त के समय के बारे में बताता है।

पंचांग परिचय पुस्तक 

पंचांग परिचय पुस्तक एक ऐसी पुस्तक है जो पंचांग के बारे में जानकारी प्रदान करती है। इसमें पंचांग के पाँच अंगों (वार, तिथि, नक्षत्र, करण, योग) के बारे में विस्तार से बताया जाता है। इसके अलावा पंचांग से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण विषयों जैसे कि ज्योतिष, धर्म, और संस्कृति के बारे में भी जानकारी दी जाती है।

पंचांग परिचय पुस्तक के कई लेखक हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
  1. पंचांग परिचय एवं मुहूर्त दर्पण”, लेखक: सत्य प्रकाश द्विवदी
  2. “समृद्ध पंचांग ज्ञान”, लेखक: सत्य प्रकाश द्विवदी
  3. “पंचांग गणितम”, लेखक: पं. कल्याणदत्त शर्मा
  4. “पंचांग के रहस्य”, लेखक: राधेश्याम शर्मा
  5. “पंचांग का संक्षिप्त परिचय”, लेखक: पं. श्याम सुंदर अग्रवाल

इन पुस्तकों में पंचांग के पाँचों अंगों के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसके अलावा, इन पुस्तकों में पंचांग की गणना विधि, पंचांग के उपयोग, और पंचांग के महत्व के बारे में भी जानकारी दी गई है।

पंचांग कैलेंडर

पंचांग कैलेंडर का उपयोग भारत में कई वर्षों से किया जा रहा है। यह एक प्राचीन और पारंपरिक कैलेंडर है जो हिंदू धर्म और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

पंचांग कैलेंडर का उपयोग निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है:
  1. धार्मिक कार्यों और अनुष्ठानों के लिए: पंचांग का उपयोग विवाह, गृह प्रवेश, व्यापार आरंभ, यात्रा आदि जैसे धार्मिक कार्यों और अनुष्ठानों के लिए किया जाता है। पंचांग से शुभ मुहूर्त के बारे में जानकारी प्राप्त करके, लोग इन महत्वपूर्ण कार्यों को शुभ समय पर कर सकते हैं।
  2. ज्योतिषीय गणनाओं के लिए: पंचांग का उपयोग ज्योतिषीय गणनाओं के लिए भी किया जाता है। पंचांग से ग्रहों की स्थिति, नक्षत्रों का प्रभाव, और शुभ-अशुभ मुहूर्तों के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। यह जानकारी ज्योतिषियों को ग्राहकों की कुंडली के अनुसार भविष्यवाणियां करने और उन्हें सलाह देने में मदद करती है।
  3. प्राकृतिक घटनाओं के लिए: पंचांग का उपयोग प्राकृतिक घटनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए भी किया जाता है। पंचांग से सूर्योदय, चंद्रोदय, सूर्यास्त, चंद्रास्त, और ग्रहण आदि के समय के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

पंचांग किसे कहते हैं Class 10

पंचांग एक प्राचीन हिंदू कैलेंडर है जो चंद्र और सूर्य दोनों के आधार पर बनाया जाता है। इसमें वार, तिथि, नक्षत्र, करण, और योग का उल्लेख होता है। पंचांग का उपयोग हिंदू धर्म में धार्मिक कार्यों और अनुष्ठानों के लिए किया जाता है। आप सबसे पहले पंचांग देखने के लिए Google News को फॉलो करे

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Authorhttps://breakingnewsup.com
मेरा नाम गोपाल कुमार है। breakingnewsup.com का founder हूँ। मैं Diploma Holder हूँ। Bangalore Electronic City, NTTF कॉलेज से, मैं न्यूज से काफी inspired रहता था। फिर मैं भी startup चालू किया न्यूज चैनल से, मैं 2018 से 23 तक इसी क्षेत्र मे काम कर रहा हूँ। यानि 6 साल का अनुभव है। मैं न्यूज वेबसाइट भी बनाता हूँ। आप अपने लिए खुद का वेबसाइट बनाने के लिए कांटेक्ट भी कर सकते हैं।

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