Monday, May 20, 2024
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Same Sex Marriage Verdict: न बच्चा गोद लेने का अधिकार, न शादी की इजाजत. पढ़ें समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों के 4 फैसले

समलैंगिकों के अधिकारों के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को निर्देश जारी किया है

Same Sex Marriage Verdict: केंद्र सरकार ने लिया एक ऐसी बड़ी फैसला जिससे लोग हैरान, यह अधिकार है और यह कानून के नियम के अंदर आता है इसलिए इसमें सरकार कुछ नहीं कर सकती है। और यह हमारे पांच जजों ने मिलकर ली है फैसला जो अब कार्रवाई शुरू की जाएगी.

यह निर्देश अब होगी जारी समीक्षा रूप से समलैंगिकों को अधिकार दिया गया है यह पांच जजों ने यहां ऐसे ऐसे बातें बोले हैं जिसके वजह से लोग हैरान हैं पर अब समलैंगिकों को मिल गया अधिकार इसके वजह से लोग बहुत ही ज्यादा खुश हैं क्योंकि वह अपना जीवन खुशी-खुशी बिता सकते हैं

Same Sex Marriage Verdict

कुछ जजों को यह कहना है कि भेदभाव विरोध कानून के सुझाव में नहीं आते हैं यह इस प्रस्परिक भेदभाव को संबंध भित्ति करना चाहिए और समलैंगिक जोड़ों को शादी के लिए मान्यता देनी चाहिए क्योंकि यह समानता की दिशा की पहली कदम है जो हम लोग अपने देश के लिए कुछ अच्छा कदम उठाने जा रहे हैं

जस्टिस रवींद्र भट्ट के फैसले जो आप सुनकर हैरान हो जाएंगे

  • उनका यह कहना है की शादी मौलिक अधिकार के अंदर नहीं आता है लेकिन रिश्ता बनाना यह कानूनी अधिकार है
  • जस्टिस भट्ट भारत ने बताया कि हम सरकार को कानून बनाने के अधिकार नहीं देते हैं पर मैं इतना जरुर कहना चाहूंगा कि समलैंगिक को अपना साथी चुनने का अधिकार पूरी तरह से फ्रीडम होकर यह देनी चाहिए और हम इस बात से सहमत हैं कि हम समलैंगिकों को अधिकार दिया जाए।
  • जस्टिस भट्ट का यह भी कहना है कि समलैंगिक को बच्चा गोद लेने का अधिकार मिलना चाहिए क्योंकि अगर वह अनाथ बच्चा के अगर गोद ले गए तो एक बच्चा का जिंदगी समझ सकता है। और यह हमारा कानून कहता है और हमारा यह धर्म भी बनता है कि समलैंगिक को बच्चा लेने की अधिकतर दी जानी चाहिए पर यहां कुछ जजों का कहना है कि ऐसा नहीं होना चाहिए
  • जस्टिस भट्ट का कहना है कि सरकार को यह भी तय कर लेनी चाहिए कि उनके साथ कोई भी भेदभाव ना की जाए कानूनी दर्जा नहीं दिया जाए ।  लेकिन फिर भी समलैंगिकों के साथ कोई भी भेदभाव ना किया जाए इनको आम जिंदगी जीने दिया जाए

राशिष्ट स नरसिंहा ने अपने फैसले में क्या-क्या बातें की लिए बारीकी से जानते हैं

  • जस्टिस भट्ट नरसिंहा ने कहा कि शादी एक मौलिक अधिकार नहीं है पर हम कुछ अलग बिंदु पर बात करना चाहेंगे अगर कोई किसी के साथ रहना चाहता है खुशी से तो उसे रहने दिया जाए इसमें कोई किसी तरह का बाधा ना डाला जाए ।
  • जस्टिस नरसिंहा ने कहा कि मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि समलैंगिक जोड़ों को बच्चे गोद लेने की अधिकार दिया जाए

इस फैसले से प्रमुख पांच बातें जो अचूक हैं

  1. जस्टिस नरसिंहा का यह सहमत है कि समलैंगिक को शादी करने के अधिकार दिया जा इस बात से सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक को मान्यता देने से इनकार कर दिया है सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि यह काम सरकार का है कि समलैंगिक को अधिकार दिया जाए या नहीं दिया जाए इसमें कोई भी जस्टिस फैसला नहीं लगा
  2. सुप्रीम कोर्ट का यह भी कहना है कि यह सरकार डिसीजन लेगी कि समलैंगिक को अधिकार देनी चाहिए या नहीं देनी चाहिए अगर इस बात से सरकार समलैंगिक जोड़े बनाने की अधिकार दे भी तो इसमें कोई भी जस्टिस अपनी राय ना दे इस बात को सरकार समाधान करेगी सुनुचित करेगी कि समलैंगिक जोड़ा बनाने की अधिकतर देनी चाहिए या नहीं देनी चाहिए
  3. सुप्रीम कोर्ट के यह भी कहना है कि एक लड़का एक लड़की से शादी कर सकता है लेकिन विपरीत लिंग वाले नागरिक के ट्रांजैक्शन जोड़ों को मौजूदा कानून के तहत शादी करने के अधिकार नहीं देती है यह कोर्ट की आखिरी फैसला है

 

अब हम आपको बताना चाहते हैं ब्रेकिंग न्यूज़ अप के माध्यम से कि समलैंगिक ट्रांसजेंडर क्या होता है और यह लैंगिक ट्रांसजेंडर से किस प्रकार भिन्न होता है

समलैंगिक ट्रांसजेंडर क्या होता है

संलैंगिक ट्रांसजेंडर वह व्यक्ति होता है जिसका लिंग पहचान उसके जन्म के समय निर्धारित लिंग से मेल नहीं खाता है। संलैंगिक ट्रांसजेंडर व्यक्ति के पास जन्म के समय पुरुष या महिला के रूप में पहचाने जाने वाले शारीरिक लक्षण हो सकते हैं, लेकिन वह खुद को किसी अन्य लिंग के रूप में पहचानता है।

संलैंगिक ट्रांसजेंडर व्यक्ति के लिए, लिंग पहचान एक सामाजिक और मनोवैज्ञानिक पहचान है, जो शारीरिक विशेषताओं से परे होती है। यह व्यक्ति की भावनाओं, आत्म-छवि और पहचान को प्रभावित करती है।

संलैंगिक ट्रांसजेंडर व्यक्ति को अक्सर भेदभाव और हिंसा का सामना करना पड़ता है। उन्हें समाज में स्वीकार नहीं किया जाता है और उन्हें कई अधिकारों से वंचित किया जाता है।

संलैंगिक ट्रांसजेंडर के प्रकार:

  • ट्रांसजेंडर पुरुष: यह वह व्यक्ति होता है जिसका जन्म के समय लिंग महिला निर्धारित किया गया था, लेकिन वह खुद को पुरुष के रूप में पहचानता है।
  • ट्रांसजेंडर महिला: यह वह व्यक्ति होता है जिसका जन्म के समय लिंग पुरुष निर्धारित किया गया था, लेकिन वह खुद को महिला के रूप में पहचानता है।
  • अन्य लिंग: यह वह व्यक्ति होता है जो खुद को पुरुष या महिला के रूप में नहीं पहचानता है।
    संलैंगिक ट्रांसजेंडर के अधिकार:

भारत में, संलैंगिक ट्रांसजेंडर लोगों को 2019 में ट्रांसजेंडर अधिकार संरक्षण अधिनियम के तहत कानूनी अधिकार दिए गए हैं।

इस अधिनियम के तहत, संलैंगिक ट्रांसजेंडर लोगों को अपना लिंग प्रमाण पत्र प्राप्त करने का अधिकार है।
उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और रोजगार के अवसरों तक पहुंच प्राप्त है।

संलैंगिक ट्रांसजेंडर के लिए समर्थन:

  • संलैंगिक ट्रांसजेंडर लोगों के लिए कई संगठन काम कर रहे हैं।
  • ये संगठन संलैंगिक ट्रांसजेंडर लोगों को जागरूकता, समर्थन और संसाधन प्रदान करते हैं।
  • भारत में, कुछ प्रमुख संगठनों में ट्रांसजेंडर राइटस मूवमेंट ऑफ इंडिया, ट्रांसजेंडर राइट्स फाउंडेशन और ट्रांसजेंडर वेलफेयर इंडिया शामिल हैं।
  • संलैंगिक ट्रांसजेंडर लोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाना महत्वपूर्ण है। हमें यह समझना चाहिए कि लिंग पहचान एक व्यक्तिगत और जटिल विषय है। हमें संलैंगिक ट्रांसजेंडर लोगों के प्रति सम्मान और स्वीकृति दिखानी चाहिए।
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Authorhttps://breakingnewsup.com
मेरा नाम गोपाल कुमार है। breakingnewsup.com का founder हूँ। मैं Diploma Holder हूँ। Bangalore Electronic City, NTTF कॉलेज से, मैं न्यूज से काफी inspired रहता था। फिर मैं भी startup चालू किया न्यूज चैनल से, मैं 2018 से 23 तक इसी क्षेत्र मे काम कर रहा हूँ। यानि 6 साल का अनुभव है। मैं न्यूज वेबसाइट भी बनाता हूँ। आप अपने लिए खुद का वेबसाइट बनाने के लिए कांटेक्ट भी कर सकते हैं।

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